निशब्द है घर ,
ख़ामोशी चारो ओर,
बात करने का मन,
तो आंखे खोजे चाहूँ ओर।
किसी को काम से फुर्सत नहीं,
सामने बैठे है पर यंत्रो पर नज़र गाड़ी,
किसी को पुस्तक से लगाव,
तो किसी को मित्रो का प्रभाव।
सब अपने अपने में व्यस्थ,
मांगने मात्र होता है भाषा का प्रयोग,
न करो व्यर्थ शब्दों का उपयोग,
बिन बोले ही सब काम हो जाये।
अकस्मात वातावरण में धवनि गूंजी ,
सुना तो कामो की गिनिती हुई ,
फिर समां हुआ खामोश ,
निशब्द है घर हररोज़।
ख़ामोशी चारो ओर,
बात करने का मन,
तो आंखे खोजे चाहूँ ओर।
किसी को काम से फुर्सत नहीं,
सामने बैठे है पर यंत्रो पर नज़र गाड़ी,
किसी को पुस्तक से लगाव,
तो किसी को मित्रो का प्रभाव।
सब अपने अपने में व्यस्थ,
मांगने मात्र होता है भाषा का प्रयोग,
न करो व्यर्थ शब्दों का उपयोग,
बिन बोले ही सब काम हो जाये।
अकस्मात वातावरण में धवनि गूंजी ,
सुना तो कामो की गिनिती हुई ,
फिर समां हुआ खामोश ,
निशब्द है घर हररोज़।
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