21 October 2017

दिवाली का सार

दिवाली का सार 

हर घर में दीयो की ज्योति 
हर कोना चमके जैसे मोती 
आँगन में खूबसूरत रंगोली बोली 
आज तो दिवाली है दिवाली 

हर कोई पहने सुन्दर पोषक 
खुशी से सब दिशा गूजे अद्भुत राग 
बच्चे खेले पटाको के साथ 
बड़े सब बतियाये दोस्तों के संग सारी रात 

शाम को होती लक्ष्मी माता की पूजा आरती 
फल फुल और पकवान से थालियों भर जाती 
माता की कृपा से नए काम की होती प्राप्ती 
इसी उत्साह से घर दुल्हिन की तरह सज जाती 

अगला दिन श्रीकृष्ण का नमन करके  
गावर्धन गिरी जी की पूजा करते 
प्रार्थना हर व्यक्ति की यही रहती 
हम भी ले लो शरण में हे जग के पालनहारी 

भाईदूज है त्योहार भाई बेहेन का 
अटूट बंधन से भरे प्यार का  
धनतेरस से जो दिया जला 
भाईदूज तक घर आँगन में जलता चला 

पांच दिनों का ये उत्सव खुशियों भरा 
पुरे साल का हर्ष बटोर कर लाता 
नए कार्य को करने का उत्साह दे जाता 
यही सार दिवाली को शुभ और मनमोहक बना देता ।     





 

1 comment:

  1. A beautiful n detailed description of this lovely festival

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